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Photo Credit: Val Vesa

 

 

दिन ने अपनी चादर समेट ली है
चाँद ने चांदनी बिखेर ली है
रात्रि का रंग अब गहरा रहा है
शांति का समां फैल रहा है

 

पतंगों की बातें दे रही है सुनाई
जुगनुओं का प्रकाश भी दे रहा है दिखाई
बादलो की घटाए है छा रही
बारिश की कुछ बूंदे भी है आ रही

 

यह आसमान मुझसे कुछ कहना छा रहा है
क्यों टिमटिमटाते यह तारे कुछ बाटना है चाह रहे
मिट्ठी की खुशबु भी है कुछ पुछ रही
क्यों रात है नाकामयाबी का प्रतीक
क्यों यह रात करती है अंधेरे का इशारा
क्यों इस रात से इतना डरता है जग सारा
रात का कोई इंतज़ार कोई करता क्यों नहीं

 

वह देती है हमे सुकून और शान्ति
वह देती है आराम दिन भर की भाग दौड़ से
फिर क्यों रात नहीं है दिन के सामान
जब आती है रात के बाद दिन और दिन के बाद रात
तो क्यों करता नहीं इंसान एक दिन रात का इंतज़ार

 

चाँद ने यह कह कर अपनी चांदनी समेट ली
दिन का प्रकाश क्योंकि दे रहा दस्तक आसमान में

 

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