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भूल गए वह दिन
जब चैन की गहरी नींद तुम लेते थे
सपनों में परियों को देखा करते थे
अब तो नींद आना ही मुश्किल है
दिमाग सोचना जो बंद नहीं करता
रात को बार बार नींद खुलती है
अकेले रहने में डर जो है लगता

 

भूल गए वह दिन
दर्द होने से जोर जोर से रोते थे
गम दोस्तों को बदला कर दिल हल्का जो करते थे
अब तो आंसूओं को छुपा कर रोते
अकेले तनहा होकर चुप ही रहते
आंखें अगर भीग भी जाए
तो नजरे हटाकर धीमे से मुस्कुरा देते

 

भूल गए वह दिन
हारने के बाद भी जीतने वाले के साथ जब हंसते थे
जीतने वाले का हाथ पकड़कर चला करते थे
अब तो हारने के बाद मायूस हो बैठते हैं
लगता है सब कुछ हार लिया हमने
जीतने वाला अपने में ही खुश रहता है
वह मना रहा होता है जश्न
और तुम होते हो गम में

 

भूल गए वह दिन
प्यार जब किसी एक से ही किया करते थे
उसे पाने के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाते थे
अब तो प्यार का मतलब ही खो चुके हैं
बस साथ रहने को ही प्यार समझ बैठे
दूरियों से प्यार कम नहीं होता है
इश्क इबादत है तुम यह क्यों नहीं समझते

 

भूल गए वह दिन
आसमान में तारों को देखा करते थे
रात में बाहर टहला जो करते थे
अब तो याद नहीं सर उठा कर आसमां कब देखा था
दुनिया की इस भीड़ में गुम हो गए हैं हम
कब तुमने इस रात की खामोशी को सुना था
इतने परेशान उलझे हुए से क्यों हो गए हैं हम

 

भूल गए वो दिन
जब प्यार लोगों से किया करते थे
और चीजों को इस्तेमाल किया करते थे
अब तो प्यार है हमें अपनी चीजों से
और कर रहे हैं इस्तेमाल लोगों को

 

Photo credit: Rene Bernal 

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